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महर्षि च्यवन का जन्म और उनके तेज से पुलोमा राक्षस का भसम होना तथा भृगु मुनि का अग्निदेव को श्राप #9
प्रमदुरा का जन्म, रुरु से सगाई तथा विवाह से पहली ही साँपके काटने से प्रमदुरा की मृत्यु #11
आस्तिक का सर्पयज्ञमें जाना, यजमान, यज्ञ, सदस्यगण,अग्निदेव की स्तुति करना तथा राजा से वर माँगना
पिता की मृत्यु का वृतान्त सुनकर जन्मेजय की तक्षक से बदला लेने की प्रतिज्ञा
गरुड़ की उत्पति, उनका अमृत के लिए देवताओ के साथ युद्ध, वर प्राप्ति और माता को दासमुक्त करना #16
आस्तिक का जन्म, कद्रू, विनता को वर तथा सर्पोंका जन्म और सागर मंथन कथा #15
शाप से कुपित होकर अग्निदेव का अदृश्य होना और ब्रह्माजीका उनके शापको संकुचित करके उन्हें प्रसन करना
यज्ञ की समाप्ति अवं आस्तिक का सर्पो से वर प्राप्त करना व्यासजी का आगमन
शेषनागजी की तपस्या से वर प्राप्ति तथा माता के शाप से निवारण के लिए नागो से परस्पर परामर्श
राजा परीक्षित द्वारा शमीक मुनि के अपमान के कारण मिला शाप, आत्मरक्षा का उपाय तथा कश्यप तक्षक संवाद
रुरु की आधी आयु से प्रमदुरा का जीवित होना, रुरु से उसका विवाह तथा रुरु डुण्डुभ संवाद #12
डुण्डुभ की आत्मकथा तथा उसके द्वारा रुरु को अहिंसा का उपदेश #13